चांडिल
विमलेश कुमार
चांडिल प्रखंड के हारुडीह में पांच दिवसीय ऐतिहासिक सांस्कृतिक मेला का शुभारंभ हुआ. शुक्रवार देर शाम को रंगारंग कार्यक्रम का शुभारंभ आजसू पार्टी के केंद्रीय महासचिव हरेलाल महतो ने फीता काट कर किया. मौके पर आजसू नेता हरेलाल महतो ने कहा कि हारुडीह गांव में सार्वजनिक सरस्वती पूजा कमिटी द्वारा सन् 1911 में माता सरस्वती के मंदिर की स्थापना की गई थी. सरस्वती पूजा के दो दिन बाद शुरू होने वाली यहां के पांच दिवसीय मेला झारखंड, पश्चिम बंगाल एवं ओड़िशा राज्य में ख्याति प्राप्त है. इसमें तीन राज्यों के लाखों श्रद्धालु मेला में आते हैं और माता सरस्वती के चरणों में माथा टेक कर विद्या बुद्धि ज्ञान का आशीर्वाद लेते हैं.
मेला में विभिन्न भाषाओं के रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम, संथाली ड्रामा आदि आकर्षण का केंद्र होता है. उन्होंने कहा कि विद्या की देवी माँ शारदा जिस मस्तिष्क में विराजमान होती है, वह सभी गुणों से सुशोभित हो जाता है, और समस्त संसार में उसकी ख्याती बढ़ती है. पूजा व मेला कमिटी के सचिव लक्ष्मीकांत महतो ने बताया कि पूर्वजों द्वारा शुभारंभ किया गया सरस्वती मेला आयोजन का परंपरा को सैकड़ों वर्षों से मनाते आ रहें हैं. मेला में विभिन्न भाषाओं के सांस्कृतिक कार्यक्रम का संगम श्रद्धालु और दर्शकों के लिए आस्था व आकर्षण रहता है.
हरेलाल महतो ने कहा कि ऐसे हारुडीह, जयदा, छाता पोखर आदि प्राचीन मेला की वजह से हमें अपने सांस्कृतिक विरासत का दर्शन होता है, ऐसे मेले का संरक्षण भी जरूरी है. इस अवसर पर आजसू केंद्रीय महासचिव रविशंकर मौर्या, केंद्रीय सचिव सत्यनारायण महतो, जिलाध्यक्ष सचिन महतो, प्रखंड अध्यक्ष दुर्योधन गोप, मेला कमिटी के सचिव लक्ष्मीकांत महतो, कृष्णा महतो, सनत महतो, नरेन महतो आदि मौजूद रहे.